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المساهمات : 67 تاريخ التسجيل : 15/04/2010 العمر : 35
موضوع: अमेरिका के खाड़ी क्षेत्र में सैनिक उपस्थिति الإثنين مايو 17, 2010 10:48 am
ऐसी स्थिति में कि यमन को इस देश के दक्षिण व उत्तर में गम्भीर संकट का सामना है, अमेरिकी अधिकारियों ने अलक़ायदा से मुक़ाबले के बहाने यमन को अपने ध्यान का केन्द्र बनाया है। इसी बीच अमेरिकी प्रचार माध्यमों ने भी इस समाचार के प्रकाशन के साथ कि यमन आतंकवादी कार्यवाहियों का केन्द्र बन गया है, इस देश में अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति की संभावना प्रकट करना आंरभ कर दिया है। साथ ही अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी गुप्तचर सेवा सीआईए के सात कर्मचारियों के मारे जाने और अमरीका के एक यात्री वाहक विमान में बम रखने का प्रकरण, यमन के विषय पर अधिक ध्यान दिये जाने का कारण बना है। अमेरिकी अधिकारी यमन में आतंकवाद में विस्तार का दावा करके और अमेरिका की सुरक्षा को इस विषय से जोड़कर यमन में अपनी सैनिक उपस्थिति बढ़ाने की चेष्टा में हैं।
समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स ने यमन में आतंकवाद से मुक़ाबला करने हेतु अमेरिका के पास संभावनाओं के अभाव की ओर संकेत करते हुए लिखा है कि वर्ष २००८ से यमन को दी जा रही अमेरिकी सहायता तीन गुना हो गई है परंतु यह सहायता उस देश के लिए बहुत कम है जो अचानक अमेरिका की सुरक्षा के लिए गम्भीर ख़तरा बना गया है।
प्रचार माध्यमों द्वारा इस प्रकार का वातावरण बनाया जाना वास्तव में क्षेत्र में अमेरिकी हितों को व्यवहारिक बनाये जाने की दिशा में एक क़दम है। अमेरिका ने ११ सितंबर की घटना को खूब बढ़ा चढ़ाकर पेश किया और वर्ष २००१ से तालेबान और अलक़ायदा से मुक़ाबले के बहाने इराक़ एवं अफ़ग़ानिस्तान पर आक्रमण करके इन दोनों देशों पर अपना अतिग्रहण जमा लिया। कुछ टीकाकारों का मानना है कि अमेरिकी अधिकारी आतंकवाद से मुक़ाबले के संबंध में अपने दावों की पुनरावृत्ति करके, आतंकवाद के विषय को प्रस्तुत करके और क्षेत्र में अमेरिका के हितों तथा इस देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बताकर यमन को दूसरा अफ़ग़ानिस्तान बनाने की चेष्टा में हैं। इस बीच अमेरिकी प्रचार माध्यम भी वाइट हाउस की नीतियों से पूर्ण समन्वय के साथ उस चीज़ को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे अमेरिका यमन में ख़तरा कहा रहा है और इस मार्ग से वे क्षेत्र में अमेरिका के हितों की पूर्ति के लिए भूमि प्रशस्त कर रहे हैं। बहुत से राजनैतिक हल्कों का मानना है कि यमन में अमरीका की स्थिति को सुदृढ़ बनाना कि जो लाल सागर में प्रवेश का मार्ग और बाबुल मंदब जल डलडमरू मध्य एवं अफ़्रीका की सुरक्षा स्थिति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, यमन की ओर अमरीकी अधिकारियों द्वारा अधिक ध्यान दिए जाने का मुख्य कारण है।
एक वर्ष पूर्व से अब तक अमेरिका के बहुत से अधिकारी अदन की खाड़ी में अमेरिका की नौसेना की उपस्थिति का मुद्दा पेश कर चुके हैं। इस बहाने का पहला कारण अदन की खाड़ी में समुद्री डाकुओं से मुक़ाबला करना बताया गया है परंतु वर्तमान समय में अमेरिका लाल सागर एवं अदन की खाडी में उपस्थिति से कोई अन्य लक्ष्य साधने की चेष्टा में है। अमेरिका का, क्षेत्र के थानेदार में परिवर्तित होना और लाल सागर के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग का नियंत्रण जिसे एशिया का दरवाज़ा कहा जाता है, अमेरिका द्वारा यमन की समस्याओं पर ध्यान दिये जाने का कारण बना है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि यमन या मध्यपूर्व के किसी अन्य देश में अमेरिका की सैनिक उपस्थिति क्षेत्र की शांति व सुरक्षा के लिए गम्भीर ख़तरा होगी। इसी वास्तविकता के दृष्टिगत क्षेत्र के कुछ देश यमन में अमेरिका के हस्तक्षेप के प्रति चिंता जता रहे हैं और यमन में शांति व सुरक्षा की स्थापना के लिए अपनी तत्परता की घोषणा करके इस देश में अमेरिका की संभावित उपस्थिति के बहाने को समाप्त करने के प्रयास में हैं।
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ईरान का परमाणु कार्यक्रम
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